tag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post567812121239998352..comments2023-09-09T04:41:08.216-07:00Comments on Pretty woman: जेहनी गुलामी का करार तो हम पहले ही कर चुके हैं....rakhshandahttp://www.blogger.com/profile/08686945812280176317noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-56813193923850814282008-07-21T11:37:00.000-07:002008-07-21T11:37:00.000-07:00विचार अच्छा न लगा हो तो रियली सॉरी!...आखिर को हूं ...विचार अच्छा न लगा हो तो रियली सॉरी!<BR/><BR/><BR/>...आखिर को हूं तो अंगूठा छाप ही ना!अंगूठा छापhttps://www.blogger.com/profile/07215432736663219795noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-53927800112594623422008-07-21T11:34:00.000-07:002008-07-21T11:34:00.000-07:00वो ये कि... तुमको अपने चिट्ठे पर से ये तरह तरह के ...वो ये कि... <BR/><BR/>तुमको अपने चिट्ठे पर से ये तरह तरह के (तुम्हारे) फोटो हटा देना चाहिए...<BR/><BR/>पता नहीं क्यों कुछ अनावश्यक से जान पड़ते हैं...<BR/><BR/>ज्यादा मन हो तो बस एक फोटो लगा लो कोई सादगीभरा। यदि ब्लैक/व्हाइट अगर हो तो ज्यादा ठीक...<BR/>तुम इतना संजीदा लिखने की कोशिश कर रही हो,शायद इसीलिए ये खयाल मन में उपजा...<BR/><BR/>(मुझे पता है तुम शायद ही हटाओगी, लेकिन मशवरा भी तो मैंने तुमसे पूछ के ही दिया है।)<BR/><BR/><BR/>अच्छाजी! गुडबाय! राम-राम...अंगूठा छापhttps://www.blogger.com/profile/07215432736663219795noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-68071390817326451792008-07-21T10:45:00.000-07:002008-07-21T10:45:00.000-07:00सर,क्यों नही,आप का मशवरा सर आंखों पर....ज़रूर दें....सर,क्यों नही,आप का मशवरा सर आंखों पर....ज़रूर दें...rakhshandahttps://www.blogger.com/profile/08686945812280176317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-78232517378801677282008-07-21T01:10:00.000-07:002008-07-21T01:10:00.000-07:00रक्षंदा,एक मशविरा दूं तुमको...मानोगी?अंगूठा छापरक्षंदा,<BR/>एक मशविरा दूं तुमको...<BR/><BR/><BR/>मानोगी?<BR/><BR/>अंगूठा छापअंगूठा छापhttps://www.blogger.com/profile/07215432736663219795noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-72594725172410818972008-07-21T00:20:00.000-07:002008-07-21T00:20:00.000-07:00This comment has been removed by the author.awdhesh pratap singhhttps://www.blogger.com/profile/05062726300261537255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-11679015984984858542008-07-20T23:04:00.000-07:002008-07-20T23:04:00.000-07:00अंगूठा छाप जी, उम्मीद है आपको आपके एतराज़ का जवाब ...अंगूठा छाप जी, उम्मीद है आपको आपके एतराज़ का जवाब मिल गया होगा और आप ने मुझे माफ़ भी कर दिया होगा...वैसे एक बात माननी पड़ेगी,वाकई आपने सच कहा था कि इसका फ़ैसला अमर जी करें तो सही होगा...उन्होंने तो सबको उनका असली चेहरा दिख दिया, कुछ इस तरह कि कितनी ही देर हम अपने बारे में सोचते रह जाएँ और साथ ही ये भी कि किस तरह ख़ुद को इस अंधी दौड़ से अलग कर के अपने वजूद का अहसास दिलाएं...थैंक्स...एक रेकुएस्ट है आपसे....ज़रा अपना नाम तो बताइये...ये क्या अंगूठा छाप , अंगूठा छाप लिख रही हूँ...प्लीज़rakhshandahttps://www.blogger.com/profile/08686945812280176317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-49725239756850837102008-07-20T22:56:00.000-07:002008-07-20T22:56:00.000-07:00जब 'अंगूठा छाप ' ने लिखा की ये तो एक बहस का मुद्दा...जब 'अंगूठा छाप ' ने लिखा की ये तो एक बहस का मुद्दा है और इसे अच्छी तरह सुलझाने का काम अमर जी ही कर सकते हैं तब अंदाजा नही था कि अमर जी न सिर्फ़ इसका फ़ैसला करेंगे बल्कि इस कदर बेबाकी और सच्चाई से अपना फ़ैसला सुनायेंगे, वो कहते हैं न कि दूसरों के हलके से दाग देख कर भी चीख पुकार करने वाले कभी गौर से आईने में अपना चेहरा देखें तो उन्हें अहसास होगा कि सब से पहले तो अपने दाग के इलाज की ज़रूरत है...आपके पहले से लेकर सातवाँ सच पूरी तरह आईना दिखाने वाला है.<BR/>अब जब सच की अदलत में पेश हो ही चुकी हूँ तो बता दूँ कि blog का नाम 'pretty woman' रखते हुए कभी सोचा ही नही था अमर जी कि ये दुनिया मेरे दिल के इतने करीब हो जायेगी कि मैं सोते जागते बस इसी दुनिया में जीती रहूंगी...यकीन मानिए...ऑरकुट से लेकर facebook जैसी साईट पर अपनी प्रोफाइल बना कर कुछ दिन दिलचस्पी लेकर और फिर बोर होकर एकदम से दूर हो गई,कभी पलट कर नही देखा कि क्या हुआ...बस यहाँ भी लगा, ऐसा ही होगा...ना नाम रखते हुए कुछ सोचा, न ही कुछ और...बस उस वक्त जो दिमाग में आया , लिख दिया...लेकिन आज जब आपने अहसास दिलाया तो महसूस हुआ कि मुझे बाकि लोगों को देखने से पहले ख़ुद अपने बारे में भी सोचना चाहिए...नाम बदलने का कोई आप्शन होता तो सब से पहले मैं यही करती, क्योंकि ख़ुद मुझे भी ये नाम कुछ दिनों से अटपटा सा लगने लगा है...लेकिन आपको एक बात बताऊँ? मेरे ब्लॉग के नाम पर मत जाइए,मुझे फोटो में देख कर भी अंदाजा मत लगाइए...असली जिंदगी में मैं इस से बहुत मुख्तलिफ और थोडी सी दकियानूसी सी हूँ...लेकिन एक बात माननी पड़ेगी, आपकी काबलियत का इतना अंदाजा नही था मुझे,और आपने जो कहा कि आप कोई आलिम फाजिल नही हैं तो अमर जी,इसका फ़ैसला आप नही कर सकते, इसका फ़ैसला तो हम जैसे लोगो पर ही छोड़ देन तो अच्छा है,और हाँ, आपके अखाडे में तो इल्म और ज्ञान की बारिशें होंगी ही, कुछ बूँदें हम प्यासों को तोहफे में देते जाइए....हम जैसे लोग सैराब हो जायेंगे...उम्मीद है आप ऐसा ही करेंगे....बहुत शुक्रिया...rakhshandahttps://www.blogger.com/profile/08686945812280176317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-67657573906297279952008-07-20T22:30:00.000-07:002008-07-20T22:30:00.000-07:00देखा रक्षंदा,मैंने कहा था कि नहीं... इस मामले पर ड...देखा रक्षंदा,<BR/>मैंने कहा था कि नहीं... <BR/>इस मामले पर डा अमर कुमार ही कुछ पते की बात करेंगे...<BR/><BR/>दूसरे अन्य खिलाड़ियों की माफिक अंधी और रुटीन टिप्पणी वे नहीं देते। सामने वाले के दिल में उतरते हैं, तैरते हैं, समझते हैं फिर टिप्पणी बख्शते हैं वे...<BR/><BR/>अक्खा ब्लाॅग जगत के (जहां तक मेरा अनुभव है) सर्वाधिक स्पष्ट, चुटीले और मजेदार टिप्पणीकार हैं वे। उनके आने से महफिल में रौनक सी आ जाती है, ऐसा मैं महसूसता हूं मेरा खयाल है और लोग भी इससे सहमत होंगे।<BR/><BR/>उनके सातवें सच से अपन यानी अंगूठा छाप भी सहमत हैं...।<BR/><BR/>कीप इट अप!<BR/><BR/>अंगूठा छापअंगूठा छापhttps://www.blogger.com/profile/07215432736663219795noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-72355990957392181802008-07-20T22:28:00.000-07:002008-07-20T22:28:00.000-07:00This comment has been removed by the author.अंगूठा छापhttps://www.blogger.com/profile/07215432736663219795noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-44074492387700988442008-07-20T12:37:00.000-07:002008-07-20T12:37:00.000-07:00मेरी टिप्पणी की ख़्वाहिश की गयी है.... जाने क्यों ...<I>मेरी टिप्पणी की ख़्वाहिश की गयी है.... जाने क्यों ?<B>..मैं कोई आलिम फ़ाज़िल तो नहीं</B>,वरना यहाँ क्या कर रहा होता ?<BR/><BR/><B>पहली बात</B> - ये <A>अंगूठा-छाप</A> बड़ी बाँहमरोड़ किसिम के जीव लगते हैं, खुले आम ज़बरदस्ती पर आमदा हैं ।<BR/><B>दूसरे यह कि</B> - यहाँ डिस्क्लेमर लगाने का प्राविधान नहीं है, नहीं तो मैं अब तक के बीस टिप्पणीकारों से पूछता, कितनों के बच्चे सरस्वती विद्यामंदिर में शिक्षा पा रहे हैं ? स्कूल चुनने का विकल्प उस अबोध के पास तो नहीं था, यह अभिभावक का निर्णय ही है । <BR/><B>फिर ऎसी सुबहः के आलम पर स्यापा क्यों ?</B><BR/><B>तीसरी बात</B> - कोई मुझे समाजद्रोही भले करार दे, किंतु यह सच है कि मानसिक गुलामी की चाटुकारिता हमारी रग़ों में सदियों से रच बस गयी है । काश कि ऎसे दिलों का एम्पुटेशन कर पाना संभव होता ?<BR/><B>चौथा नुक्ता </B>- हर कोई इतना आत्मकेन्द्रित हो गया है, या दाल रोटी की चिंता में उलझा दिया गया है कि देश की बातें आरूषि तक दुनिया की बातें आई.पी.एल. तक और समाज की बातें किन्हीं मुखर्ज़ी साहब के ज़वान बेटी के लव एफ़ेयर्स तक सिमट कर रह गयी हैं । मेरे पास ऎसे कोई सबूत भी नहीं हैं कि मैं दावा कर सकूँ कि इसमें अमेरिका का दख़ल है, क्या कोई ऎसा सनद देगा,क्या ?<BR/><B>पाँचवाँ बिन्दु </B>- क्यों ऎसे हालात हैं कि देश और देशहित की बातें करने वाले शक की निगाह से देखे जाने लगे हैं ? शा्यद CIA ने बेईमानी के वाइरस का छिड़काव इस रीढ़विहीन पीढ़ी पर कर दिया है,कुछ भी असंभव नहीं है ?<BR/><B>छठा ठहराव</B> क्षमायाचना का - यह रक्शंदा का ड्राइंगरूम है, बाकी बानगी अपने अखाड़े में ! मूड तो मेरा भी नहीं है.. फिर भी आज इतना ही सही !<BR/><B>सातवाँ सच</B> यह कि यहाँ मुझे<A> रक्शंदा जी</A><B> Pretty Woman </B>के रूप में ही दि्खीं...या दिखती रहीं । पता नहीं क्यों...यह आस लगाये हूँ कि यह <B>Pretty ....</B> कभी तो <A>मनभावन नारी</A> में परिवर्तित होगी <BR/><A>... ... ...</A><B>और होगी ज़रूर !</B></I>डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-65020513000078691822008-07-19T06:16:00.000-07:002008-07-19T06:16:00.000-07:00खुले दिल से लेखन बेबाकी से लेखन की सराहना करता हूँ...खुले दिल से लेखन बेबाकी से लेखन की सराहना करता हूँvipinkizindagihttps://www.blogger.com/profile/06698270014124048966noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-11918712383517361082008-07-19T05:48:00.000-07:002008-07-19T05:48:00.000-07:00HI,Likha to gaya hai , kafi kuchh sahi hai, par ye...HI,<BR/>Likha to gaya hai , kafi kuchh sahi hai, par ye paricharcha ka vishay ho to bahut se naye pahlu jud sakte hain, sirf aap ki bat ko pukhta kah dena is masle se berukhi ho jayegi. aapka lekhan to hamesha ki tarah purzor hai, shubh kamnayen.राकेश जैनhttps://www.blogger.com/profile/05865088324047258223noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-66896168024457412432008-07-19T02:26:00.000-07:002008-07-19T02:26:00.000-07:00इन लम्बी लम्बी टिप्पणियों के बाद तुुम्हारी इस पोस्...इन लम्बी लम्बी टिप्पणियों के बाद तुुम्हारी इस पोस्ट पर मुझे अब डाॅ अमर कुमार की टिप्पणी का इन्तजार है रक्षंदा।<BR/><BR/>इस पूरे प्रकरण का निबटारा वही करेंगे और उन्हीं का फैसला मान्य होगा।<BR/><BR/><BR/>(फिलहाल अंगूठा छाप का मूड नहीं बन पा रहा इस ड्रामे पर कुछ कहने का।)अंगूठा छापhttps://www.blogger.com/profile/07215432736663219795noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-67772576481095166652008-07-18T22:45:00.000-07:002008-07-18T22:45:00.000-07:00समझ में नही आता किन लफ्जों में आप सब का शुक्रिया अ...समझ में नही आता किन लफ्जों में आप सब का शुक्रिया अदा करूँ, इतनी अच्छी तरह आप लोग मुझे समझेंगे और और हौसला देंगे इसका इतना नदाज़ा नही था मुझे,सब से ज़्यादा खुशी इस बात ने दी है की सब ने काफी डिटेल में अपनी नज़रिए को यहाँ रखा है,ये मेरे लिए बड़ी बात है. तसल्ली होती है की अपनी इस सोच के साथ मैं तनहा नही हूँ बहुत से लोग हैं जो ऐसा सोचते हैं और सब से बड़ी बात यही है की अभी भी हमारे साथ ऐसे लोग मौजूद हैं जो इस अंधी दौड़ के मुसाफिर नही हैं और समझते हैं की हमारे लिए अच्छा क्या है और बुरा क्या है, शायेद तभी अभी हम इतनी आसानी से अमेरिका के चंगुल में नही फँस सके हैं और उम्मीद यही करुँगी की ऐसा कभी न हो लेकिन हालात जो हैं वो बहुत दुःख देते हैं...<BR/>शुक्रिया उनका भी जो इस नज़रिए में मेरे साथ नही हैं लेकिन मुझे पढ़कर अपना नजरिया सामने रखा है,मैं बस इतना कहना चाहती हूँ की मैं आप के नज़रिए की भी उतनी ही इज्ज़त करती हूँ लेकिन ज़रा इतना सोच लें,खुदा न ख्वास्ता कहीं ऐसा ना हो आने वाले दिनों में हमारा हश्र भी पकिस्तान जैसा हो, तरक्की अपने दम पर हो तो खुश करती है..मांगे की दौलत हो,खुशी हो,औलाद हो या तरक्की...कभी अपनी नही हो सकती...इसलिए careful रहने की ज़रूरत है.<BR/>एक बार फिर से बहुत बहुत शुक्रिया...rakhshandahttps://www.blogger.com/profile/08686945812280176317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-3880622542377910402008-07-18T21:44:00.000-07:002008-07-18T21:44:00.000-07:00बहुत बढ़िया तरीक़े से अपनी बात कही आपने. मेरे एक दोस...बहुत बढ़िया तरीक़े से अपनी बात कही आपने. <BR/><BR/>मेरे एक दोस्त का भतीजा है जो देश के एक बड़े संस्थान में मैनेजमेन्ट की पढ़ाई कर रहा है. इधर छुट्टियों में वह घर आया था तो इस एटमी क़रार को लेकर मैंने उस से यूं ही पूछ लिया. साहब बोले: "डज़ इट एट ऑल मैटर? आई डोन्ट नो मच अबाउट इट. आई थिंक आफ़्टर द डील वी वुड बी एबल टू डिमॉलिश पाकिस्तान विद एटम बॉम्ब्स!"<BR/><BR/>यह तो केवल एक मिसाल भर है. हाशिये पर भी न रहने लायक चीज़ें इस देश के युवाओं की फ़र्स्ट प्रायरिटी बन गई हैं. अपना सब कुछ एक अंधी दौड़ के नाम क़ुर्बान कर चुके इस मुल्क को हमारे सियासतदां अब जो चाहे करें, असल बात तो यह है कि ज़्यादातर लोगों को न इस क़रार की डिटेल्स पता हैं न वो जानना चाहते हैं.<BR/><BR/>झकझोर देने वाले एक अच्छे आलेख के लिये मेरी बधाई लें.Ashok Pandehttps://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-39658149022367364722008-07-18T18:27:00.000-07:002008-07-18T18:27:00.000-07:00Bahut Badiya Lekh hai. Main Apke Blog Par Pahli Ba...Bahut Badiya Lekh hai. <BR/><BR/>Main Apke Blog Par Pahli Baar Aya Hu. Par Apke Is Lekh Ne Mujhe Comment Likhne Ko Majboor Kar Diya Hai. <BR/><BR/>Hum Bhartiya Logo Ka Jhukab Pashchimi Chal-Chalan Par Jyada Hota Hai aur isko apnane ke chalate hum apni sabhyata bhoolte ja rahe hai. Ye bahut dukhd hai, bahut peeda hoti hai.Somhttps://www.blogger.com/profile/04101052618645409616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-14614919969455532902008-07-18T16:44:00.000-07:002008-07-18T16:44:00.000-07:00आपकी इस पोस्ट मे बुरा लगने वाली कोई बात तो मुझे नज़...आपकी इस पोस्ट मे बुरा लगने वाली कोई बात तो मुझे नज़र नही आयी ।<BR/><BR/> जो लिखा सही ही हैAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-68304637641061847372008-07-18T15:39:00.000-07:002008-07-18T15:39:00.000-07:00आपने बहुत कुछ सही लिखा है लेकिन हर बात के दो पहलू ...आपने बहुत कुछ सही लिखा है लेकिन हर बात के दो पहलू होते हैं. हो सकता है मैं गलत हूं लेकिन आपने ज्यादातर स्याह पक्ष ही उभारा है. मैं अमेरिका का समर्थक नहीं हूं लेकिन क्या आपने यह सोचा है आने वाले समय में देश की सबसे बड़ी जरूरत क्या होगी. मेरे नजर में आनाज और ऊर्जा. आनाज की पूर्ति तो हम अपने दम से कर लेंगे लेकिन बिजली जो आज की जीवन दायिनी है उसकी पूर्ति हम शायद अपने उपयोग भर के लिये नहीं कर पाएंगे. वजह है जल विद्युत अब ऊर्जा संकट दूर करने के लिये नगण्य है तो तापीय विधि से भी पर्याप्त उत्पादन नहीं हो सकता क्योंकि कोयला भी सीमित ही है. बचती है परमाणु रियेक्टरों से प्राप्त ऊर्जा. हमारे यहां थोरियम तो है लेकिन अब तक ज्ञात विधि में हम यूरेनियम से ही विजली का उत्पादन कर पा रहे हैं. थोरियम को लेकर लंबा सफर तय करना है तब तक शायद यूरेनियम के लिये हमें समझौता तो करना ही पड़ेगा. रही बात सांस्कृतिक गुलामी की तो क्या आप यह मानती हैं कि हमारी संस्कृति इतनी कमजोर है कि दूसरी हम पर हावी हो जाएगी. फिर हम यह क्यों भूलते हैं कि योग को पूरा विश्व हमसे ही सीख रहा है. तो यह सांस्कृतिक आदान प्रदान तो चलता रहता है. फिर आती है विदेश जाने की बात तो अब तक मेरी जानकारी के अनुरूप अब विदेश जाकर वहीं बसने वालों के आंकड़ों में काफी कमी आई है बल्कि वहां से लौटने वालों की संख्या में इजाफा ही हुआ है. बाकी मैं आपकी बात से असहमत नहीं हूं. पहली बार आपके ब्लाग पर आया पढ़कर अच्छा लगा.Ramashankarhttps://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-3314683743166119292008-07-18T11:15:00.000-07:002008-07-18T11:15:00.000-07:00हा भुल गया भारत ही एक ऎसा देश हे जहां भारत की अपनी...हा भुल गया भारत ही एक ऎसा देश हे जहां भारत की अपनी भाषा बोलने पर कई स्कुलो मे जुर्माना भी लगता हे फ़िर भी हम आजाद हे :) :)राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-91183083019376771482008-07-18T11:13:00.000-07:002008-07-18T11:13:00.000-07:00यह सब बाते मे कई बार टिपण्णियो मे दे चुका हु,ओर यह...यह सब बाते मे कई बार टिपण्णियो मे दे चुका हु,ओर यह बात तो जग जाहीर हे जिस ने अपना बेडा गर्क करना हो वो अमेरिका से दोस्ती कर ले सो जो अब हम कर रहे हे, <BR/>बाकी आप की कलम अब ओर तेज चलने लगी हे,आल्लह से दुया करता हु ओर ताकत दे तुम्हारी कलम को सब नही तो आधे लोग ही जाग जाये सच पढ कर,आज का लेख तुम्हारे सभी लेखो का राजा हे धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-5601759948713661062008-07-18T10:42:00.000-07:002008-07-18T10:42:00.000-07:00aapki sabse achchi baat mujhe ye lagi ki aap jo ma...aapki sabse achchi baat mujhe ye lagi ki aap jo mahsoos karti hain aapne bebaaki se unhe saamne rakha. kisi ka sahmat hona ya na hona koi maayne nahi rakhta kyoki aap har kisi ko kabhi santusht nahi kar sakte...apni niji raay hona bahut zaroori hai aur aapki apni suspasht raay hai.pallavi trivedihttps://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-80382407442637198782008-07-18T09:52:00.000-07:002008-07-18T09:52:00.000-07:00khule dil se or apni baat bebaki ke sath rakhane k...khule dil se or apni baat bebaki ke sath rakhane ke liye dhanyawaad.समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-71489524002512182362008-07-18T09:08:00.000-07:002008-07-18T09:08:00.000-07:00कुछ लोग सोच कर रह जाते हैं, चिन्तन करते हैं..मन ही...कुछ लोग सोच कर रह जाते हैं, चिन्तन करते हैं..मन ही मन में कुढ़ लेते हैं और फिर या तो स्थिति से समझौता कर लेते हैं या यूँ ही कुढ़ते हुये जीने के अभयस्त हो जाते हैं..आपने लिख कर जी हल्का कर लिया.अच्छा हुआ. कम से कम कुछ जागरुकता आ जाये इसी से..बेबाकी से लिख डालने के लिए बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-18814229017584746612008-07-18T08:09:00.000-07:002008-07-18T08:09:00.000-07:00आप जानती है इस देश की एक पीड़ी ऐसी भी है जो एम् टीव...आप जानती है इस देश की एक पीड़ी ऐसी भी है जो एम् टीवी के roddie के चयन के लिए घंटो कतार लगाये खड़ी रहती है ..फ़िर धड़ल्ले से इंटरव्यू में स्वीकार करती है हाँ मैंने फलने को cheat किया ...एम् टीवी के इस शो में वे लोग जीतते है जो चल कपट साम दंड भेद से भरे है....उनमे से एक लड़की आजकल एक शो की एंकर है.....लोग कहते है उसकी लाइफ बन गयी ....दूसरा शो आजकल इसी चैनल पर ओन है दो लड़को को पटाना है....लड़कियों में मारा मारी है.....पैसा वाला जो अपने बेटे को बनाना चाहता है ,बना रहा है डोनेशन के ढेरो कॉलेज खुले है .चीजे आसान है.....एक वर्ग के लिये .एक ओर महिला है पढ़ी लिखी है ..उनकी सारी कविताये सारे लेख इसी बात पर आधारित है की टीवी में एंकर बनने के लिए लोग लड़कियों का शोषण करते है....कल को वे एंकर बन जायेगी तो क्या लिखेगी मै सोचता हूँ.....यानि सफलता के माप दंड बदल रहे है जैसे जिस रास्ते आये वही महतवपूर्ण है.....बाकी सब बकवास ...... <BR/>..I I T के बाथरूम की दीवार पर लिखा है वेस्ट इस बेस्ट.....कोई सॉफ्टवेयर इंजीनियर हिन्दुस्तान में नही रुकना चाहता ...देश हजारो लाखो रुपया एक डॉ या इंजीनियर बनाने में खर्च करता है ....पर प्रतिभा पलायन हो रहा है....पहले जब देश आजाद हुआ था तब राजनीति में वही लोग आते थे जिनका चरित्र होता था अब ....ठीक उसके उलट हो रहा है....समाज बदल रहा है.....किस करवट ?मालूम नही .....technically हम बेहद एडवांस है पर मानवीय स्तर पर किस ओर जा रहे है ..........ऐसा नही है जींस पहनना किसी गुलामी की निशानी है..पर समाज के ,देश के प्रति जो हमारी प्रतिबद्ता,जिम्मेदारी है उससे हम विमुख हो रहे है ओर आहिस्ता आहिस्ता "एकला चलो रे ' ओर मुझे क्या वाला attitude अपना रहे है ....ये खतरनाक है...दूसरा हमारे system में जो निर्णय लेने वाले लोग है वे अक्षम ओर स्वार्थ को पहले रखते है बाकी चीजे बाद में ...डील का तो तो मुझे मालूम नही पर हाँ हम जरूर सड रहे है.....आहिस्ता आहिस्ताडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7641430894961000299.post-27984099098551927962008-07-18T06:56:00.000-07:002008-07-18T06:56:00.000-07:00मैं आप से पूरी तरह सहमत हूँ। और खुशी इस बात की है ...मैं आप से पूरी तरह सहमत हूँ। और खुशी इस बात की है कि आप ने बात को इस तरीके से रक्खा है कि वह सोचने को मजबूर कर दे। बात को साधारण तरीके से भी रक्खा जा सकता है। लेकिन यह बात कि हमारे मध्यवर्गीय नौजवानों का बड़ा तबका जेहनी गुलामी स्वीकार कर चुका है। एकाएक पचेगी नहीं। लेकिन जेहनी गुलामी का फंदा ही ऐसा है कि जब तक वह पूरी तरह कस नहीं लेता है और मजबूर नहीं कर देता है तब तक इंन्सान को आजादी का एहसास होता रहता है। आज तीस हजार से एक लाख हर महीने कमाने के लिए नौजवान किस कदर अपने घर परिवार को दांव पर लगा रहा है। उस के पास मां-बाप, बीबी-बच्चों, दोस्तों के लिए वक्त नहीं है। कुछ आईटी प्रोफेशनल इस तनाव में खुदकुशी कर चुके हैं। कुछ के पारिवारिक मामले अदालतों में है। फिर भी नौजवान तबका उसी और दौड़ रहा है। दौड़ा रही हैं हमारी सरकारें, क्यों कि विकल्प नहीं है। विकल्प छोड़ा ही नहीं गया। ये ही परमाणु कररार के मामले में हमारी सरकार कह रही है कि विकल्प नहीं है। इसे जेहनी गुलामी नहीं तो क्या कहें? <BR/>जिन पाठकों ने असहमति जाहिर की है उन्हें अपने तर्क रखने चाहिए।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com