Thursday, December 31, 2009

ऐ नए साल बता , तुझ में नयापन क्या है ?



 अपने ही घर आते हुए जाने क्यों इतनी झिझक हो रही है, वही घर वाही लोग वहीदोस्त पता नहीं कहाँ , क्या नया है? लेकिन फिर भी आज दिल चाहा , अपने दोस्तों के नज़दीक जाने का, और देख लीजिये, हम आगये,
दूरी क्यों रही, ये वजह ना ही पूछें तो अच्छा है. कुछ अपना चेहरा नज़र आएगा ,कुछ अपने ही लोगों के बदसूरत चेहरे दिखाई देंगे, सो क्यों न इस बात को यहीं छोड़ दिया जाए......
कल नया साल का पहला दिन होगा, आज आखिरी रात है,,बाकी दुनिया  की क्या बात करें, अपने देश ही की क्या, अपने शहर में ही हर तरफ चरागाँ हो रहा है, जिस से मिलिए, वो नए साल की मुबारकबाद दे रहा है,मोबाइल फोन पर messages  की बहार है, ये है तो मेरे दोस्तों और रिश्तेदारों का ख़ुलूस, लेकिन जाने क्यों...हंसी आजाती है, किस बात की ख़ुशी, किस बात का celebration, ,,,अब मैं क्या कहूँ,,,मेरे कुछ दोस्तों, ख़ास कर के एक ख़ास दोस्त को मेरी इस सोच से चिढ है.....पता है वो क्या कहते हैं? तुम तो ८५ साल की बुधिय जैसी बात करती हो...अब मैं उन्हें क्या कहूँ...कुछ कहूँगी तो नाराज़ हो जाना उनकी पुरानी आदत जो ठहरी ...
बहरहाल, आज नए साल के इस मौके पर मुझे फैज़ अहमद फैज़ की एक नज़्म याद आरही है...मेरे बहुत से काबिल दोस्तों की नज़रों से गुजरी भी होगी...लेकिन इसे यहाँ पर लिखे बिना मैं रह नहीं पाउंगी....


ऐ नए साल बता तुझ में नयापन क्या है?
हर तरफ खल्क ने क्यों शोर मचा रखा है 
रौशनी दिन की वही, तारों भरी रात वही  
आज हमको नज़र आती है हर एक बात वही  
आसमान बदला है,अफ़सोस न बदली है ज़मीं 
एक हिन्दसे का बदलना कोई जिद्दत तो नहीं
अगले बरसों की तरह होंगे करीने तेरे
जनवरी, फरवरी और मार्च में होगी सर्दी
तेरा सिनदहर में कुछ खोएगा, कुछ पायेगा
अपनी मियाद बसर कर के चला जायेगा
तू नया है तो दिखा सुबह नयी, शाम नयी 
वर्ना इन आँखों ने देखे हैं नए साल कई
बेसबब लोग क्यों देते हैं मुबाराकबादें
गालेबन भूल गए वक़्त की कडवी यादें
                                                          फैज़ अहमद फैज़  



44 comments:

ab inconvenienti said...

vapsi mubarak

rakhshanda said...

thank u, thank u soooooooo much my friends....i love u all...

कंचन सिंह चौहान said...

अरे कहाँ थीं आप.... बड़ा याद किया आपको.... दिल से... ढूँढ़ियेगा कहीं सनद भी मिल जायेगी...!!!


चलिये आई हैं तो अब बाक़ायदा बनी रहियेगा। नया साल बहुत बहुत मुबारक़ हो।

rakhshanda said...

thanks didi, thank u very much...u r really great...ya, i'll try...

L.Goswami said...

ऐसे माहौल में जब हर और निराशा की धुंध छाई है ..तुम्हारा आगमन कौन सा संकेत दे रहा है ?

कहाँ थी तुम इतने दिनों तक दोस्त ? मैंने कई बार तुम्हारा नंबर लगाया ...फिर निराश होकर मिटा भी दिया ..कैसी हो तुम ?

स्वागत है ....आने वाले नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ....

rakhshanda said...

mujhe pata tha, aisa hi hoga, ab kya kahun ki kahan thi,kuchh baaten na ki jaayen to achha haina...maine tumhen kabhi yaad nahi kiya, u know why?
yaad to unhen karte haina, jinhen ham kabhi bhool paaye hon..tum hamesha mere sath thi...thanks friend

rakhshanda said...

Happy New year to all my friends....i love uuuuuuuuuu

L.Goswami said...

ठीक है, नही पूछती हूँ ..कोई समस्या न हो तब नया नंबर मेल कर देना ...मेरा इ मेल होगा ही तुम्हारे पास...

समयचक्र said...

नववर्ष की बहुत बहुत बधाई और ढेरो शुभकामनाये ...

Udan Tashtari said...

सुखद वापिसी..स्वागतम!! बहुत अच्छा लगा.


नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!

समीर लाल
उड़न तश्तरी

राज भाटिय़ा said...

अरे इस साल का सब से अच्छा तोहफ़ा दिया तुम ने, अब आई हो तो जाना ना, बस हम सब के दिल मै बसना, ओर हमारी तरह से ही यहां रहना, कभी उतार तो कभी चढाव, यानि कभी अच्छे दोस्त तो कभी बुरे भी मिलते है, ओर बुरो के पीछे अच्छो को छोड कर नही जाते, आप के अब्बा का क्या हाल है, उन्हे सलाम् कहे ओर---आप को ओर आप के परिवार को नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!

परमजीत सिहँ बाली said...

बढ़िया प्रस्तुति।आभार।


आपको तथा आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

संगीता पुरी said...

पुनर्वापसी का स्‍वागत है .. आपके और आपके पूरे परिवार के लिए नया वर्ष मंगलमय हो !!

विनोद कुमार पांडेय said...

आपको तथा आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!!

aarkay said...

फैज़ अहमद 'फैज़' की बहुत सुंदर रचना से परिचय कराया है आपने जो कि ज़मीनी हकीक़त के बिलकुल नज़दीक है . फिर भी उम्मीद का दामन क्यों छोड़ें , हो सकता है कुछ बेहतर देखने सुनने को मिले. नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं !

डॉ .अनुराग said...

ये तुम्ही हो !!!!!!!!!पहले यकीन कर लूं.....तुम्ही हो ना..

rakhshanda said...

haan, hun to main hi anurag ji,lekin ab kafi change paayenge aap mujh mein..koshish to yahi karungi ki jo thi uski thodi si chhaya hamesha mere sath rahe lekin ho sakta hai, aisa hone mein kuchh vakt lage...koshish ye bhi hogi ki aap logon ka sath ab kabhi na chhoote...dekhiye..time kitna saath deta hai mera...

Randhir Singh Suman said...

आप को ओर आप के परिवार को नववर्ष की बहुत बधाई

प्रवीण त्रिवेदी said...

आपको नव वर्ष की हार्दिक बधाई व शुभकामनायें ।

प्रवीण त्रिवेदी said...

आपको नव वर्ष की हार्दिक बधाई व शुभकामनायें ।

Anonymous said...

उम्मीद तो यही है की इस साल कुछ अच्छा और बेहतर हो... :)
बहरहाल आपको नए साल की मुबारकबाद

Lara said...

wt r u doing Ruby?
have u forgotten everything,,,why have u written again,,,pls vahi galti mat dohraao,,,i request u sis...tum se badhkar tumhara shouk kaise ho sakta hai...i try ur mob but i think its swichd off...i want to talk to u friend,,,i m very much worried about u,,,

rakhshanda said...

dont worry dear...kuchh anhi hoga...why have u written ur comment here? i m fine...n plz plz don't worry ok..

Anand Dev said...

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के खूब सूरत शेरो से रुबरू कराने के लिए शुक्रिया ।

Anand Dev said...
This comment has been removed by the author.
कंचन सिंह चौहान said...

वैसे तुम्हे आप कहते बनता भी नही है... अच्छा किया जो दीदी कह कर तकल्लुफ की दीवार गिरा दी....!

नही जानती कि क्या गड़बड़ है, फिर भी दुआ ख़ुदा इतनी नाज़ुक लड़की को हर तरह से महफूज़ रखे.....

सागर said...

वेलकम बैक...

आपको उन दिनों पढ़ा जब आप ब्लॉग पर सक्रिय नहीं थी... तो "pretty woman " पर अब अपडेट मिलता रहे

सागर said...

पोस्ट बहुत अच्छी लगी... दरअसल हम भी इसी ख्याल के मारे हैं... नज़्म पढ़ते हुए एकबारगी मंटो की याद आ गयी जिसमें एक कहानी है की सभी आज़ादी का इंतज़ार कर रहे हैं... और जब आज़ादी आती है तो कुछ भी नहीं बदलता... वही शब् - ओ - रोज़... वही हालात...

सो उम्दा...

شہروز said...

साल !! हाँ सही तो कह रहा हूँ.साल लग गया आपको इधर आने में.शुक्रिया.लेकिन अब जाना मना है.फैज़ का इन्तिखाब खूब किया आपने .

कुश said...

एक बदरी फिर से लौट आयी.. ख़ुशी हुई दोबारा यहाँ देखकर...

pallavi trivedi said...

welcome back...ab mat jana!

rakhshanda said...

इतना प्यार, इतनी चाहत, पता नहीं कैसे इतने लम्बे अरसे तक मैं इन चाहतों से दूर रह पायी, सच कहूँ तो यकीन नहीं आता, लेकिन इसे क्या कहूँ की सच्चाई यही है, इतना अपना अपना सा महसूस होता है, मेरी पूरी कोशिश यही होगी की अब यहाँ से अलग न रहूँ, कुछ अरसा मुश्किल ज़रूर होगी, एग्जाम्स में ३ महीने रह गए हैं..लेकिन फिर भी कभी कभी हाजरी देती रहूंगी, हाँ इम्तेहानों के बाद इंशाल्लाह आप सब मुझे अपने बीच हमेशा पायेंगे...इंशाल्लाह..

rakhshanda said...

ज़रूर कुश, बहुत शुक्रिया, उम्मीद है आप ठीक होंगे.

rakhshanda said...

पल्लवी जी धन्यवाद, इंशाल्लाह कोशिश यही रहेगी..

rakhshanda said...

आपका बहुत शुक्रिया कंचन दीदी...जी हाँ आजसे तकल्लुफ होना भी नहीं चाहिए...

rakhshanda said...

सभी अपनों को इतने करीब पाकर ख़ुशी से आंसू आगये , बस कुछ कमी सी रह गयी, पापा, हाँ, पता नहीं पापा ने अभी तक हम से बात क्यों नहीं की, ...कहीं वो हम से नाराज़ तो नहीं हैं?
गलती हमारी भी तो है...कोई खबर भी तो नहीं राखी उनकी...आप कैसे हैं अमर जी? और सतीश जी...अब इनके ब्लोग्स पर जाकर ही पता चलेगा....वैसे हम उन्हें मना लेंगे...ये यकीन है...

rakhshanda said...

सभी अपनों को इतने करीब पाकर ख़ुशी से आंसू आगये , बस कुछ कमी सी रह गयी, पापा, हाँ, पता नहीं पापा ने अभी तक हम से बात क्यों नहीं की, ...कहीं वो हम से नाराज़ तो नहीं हैं?
गलती हमारी भी तो है...कोई खबर भी तो नहीं राखी उनकी...आप कैसे हैं अमर जी? और सतीश जी...अब इनके ब्लोग्स पर जाकर ही पता चलेगा....वैसे हम उन्हें मना लेंगे...ये यकीन है...

Satish Saxena said...

इतने लम्बे अरसे साल बाद तुम्हारा स्वागत है प्रेटी वूमेन ! तुम्हारी कलम और ज़ज्बात में इश्वर ने ताकत दी है उसे रुकने मत दो, दुनिया को उससे महरूम कर अपने फ़र्ज़ के प्रति नाइंसाफी ना करें !
शुभकामनायें !

उन्मुक्त said...

आप वापस तो आयीं पर फिर क्या हो गया। क्या फिर चली गयीं?

उन्मुक्त said...

आप वापस तो आयीं पर फिर क्या हो गया। क्या फिर चली गयीं?

डा. अमर कुमार said...


Dear Raksho, I have already replied you over you deleted comment at my blog.

I am glad that you remembered me the same way, as I expected.

I was not aware of this post. It is a pleasant surprise, indeed.

No offence intended but often It occured to me that You may be experiencing a phase of bizzare depression.

Learn to live every momment of life, you pretty gal ! Even a betrayal has some hidden merits, you need to rediscover them.

Much of sermon for now, waiting for your next post !

rakhshanda said...

I knew papa, ab kya kahun...agar mere aansoo kuchh kah sakte to zaroor kahte....khuda aapko hamesha mere sath rakhe....I love u papa...thanks

Puja Upadhyay said...

कई दिन हुए ये पोस्ट पढ़े हुए, पर सोचा पहले यकीं तो कर लूं कि तुम वाकई लौट आई हो. बड़ा मिस किया तुम्हें. कई बार आ के तुम्हारा ब्लॉग देखा कि शायद आ गयी हो वापस. आज इत्मीनान हुआ कि वाकई आ गयी हो.
अच्छा लगा...खुशामदीद

Puja Upadhyay said...

अरे हाँ, एक बात तो कहना भूल ही गयी, बहुत निखरी और प्यारी लग रही हो. चश्मे-बद्दूर :)