Saturday, February 13, 2010

सिर्फ अहसास है ये रूह से महसूस करो.......


एक बार कहीं पढ़ा था, 'मुहब्बत दुनिया के सारे मसलों का हल है'

ईमानदारी से सोचिये क्या ये सच नहीं है

मैं कहती हूँ अगर ये सच नहीं है तो इस दुनिया में कुछ भी सच नहीं है।

मुहब्बत और सिर्फ मुहब्बत दुनिया के हर मसले का हल है.

जब जब इंसान इस जज्बे से दूर हुआ है उस ने दुनिया और समाज को सिर्फ और सिर्फ नफरत दी है. कभी इंसानियत का खून कर के कभी दिलों में नफरतों का ज़हर भर के.

क्यों ? क्यों करते हैं हम ऐसा ? क्यों नहीं हम मुहब्बत कर पाते.

जब एक जज्बा दुनिया की सारी बदसूरती समेट कर माहौल को दिलकश बना सकता है तो क्यों हम इस जज्बे को ज़बरदस्ती कुचल कर अपनी और दूसरों की जिन्दगियां मुश्किल कर देने पर तुल जाते हैं.

हमें कुछ नहीं करना...एक बार ...सिर्फ एक बार अपने दिल के शफ्फाफ (साफ) आईने में ईमानदारी से झांकना है, ये खूबसूरत जज्बा अपने सारे हुस्न के साथ हमारे दिल की इन्तहाई गहराइयों में दमकते हुए मोती की तरह मौजूद मिलेगा, क्योंकि ये जज्बा तो खुदा अपने बन्दों के दिलों में उतार कर ही इस दुनिया में भेजता है.

एक बार गौर से देखें तो, इसी जज्बे में हमें खुदा की मौजूदगी का पूरा अहसास मिलेगा.

मुहब्बत ही तो खुदा है, क्यों भूल जाते हैं हम ?

अपने जाती मुफाद और खुद को बरतर दिखाने में हम खुदा की मौजूदगी को भुला कर कितना खून बहाते आये हैं, कितना ज़हर फैलाते आये हैं.

तो फिर क्या ख़याल है, क्यों न हम मुहब्बत कर लें..

सुना है आज तो हवाएं भी मुहब्बतों के नगमे सुना रही हैं,,हमारे आस पास, इर्द गिर्द, हर तरफ सिर्फ एक ही लफ्ज़ के चर्चे हैं…मुआहब्बत, लेकिन सवाल ये है कि आखिर क्या है मुहब्बत?

कभी इमानदारी से सोचा है आपने?

क्या यही है मुहब्बत जो आज बाज़ार,बाज़ार गली ,गली अपनी पूरी चमक दमक के साथ हमारे सामने पेश की जा रही है ?

क्या इतनी ही अर्जां (सस्ती) हो चुकी है मुहब्बत ?

आपकी जेब में पैसे हैं, तो जाइए, बाज़ार में सब कुछ आपके लिए मौजूद है, दिल, जज़्बात, अहसास, सब कुछ तो मौजूद है यहाँ.अपनी पूरी खूबसूरती के साथ दिलकश पैकिंग में झिलमिलाती हुयी, बस एक खूबसूरत सा पार्टनर ढूंढिए और कर लीजिये मुहब्बत...

लेकिन क्या इसी को मुहब्बत कहते हैं?

आज कई लोगों ने मुझ से आज के दिन के लिए कुछ लिखने की फरमाइश की है ,सिर्फ अपने दोस्तों से इतना कहना चाहती हूँ कि मुहब्बत वो कतई नहीं है जिसका इश्तहार आज हमारे सामने किया जारहा है.

मुहब्बत किसी भी इश्तहार,किसी भी ख़ास दिन से परे एक ऐसा अलोही (आसमानी) जज्बा है जो किसी आबदार मोती कि तरह हमारे दिल की सीप के अन्दर ही पलता है.

जैसे कोई पाकीज़ा आयत, ये लफ़्ज़ों की मुहताज नहीं होती , ये वो जज्बा है जो अपना आप बिन कहे ही मनवा कर रहता है, इसे लफ़्ज़ों के लिबास के ज़रुरत ही नहीं है.

इसे किसी 'डे ' की जरूरत है न फूलों , चाकलेट्स और कार्ड्स की..

जिंदगी की धुप छाँव में कोई भी शख्स...एक अहसास..एक कैफियत...एक जज्बा जिसे मुहब्बत कहते हैं उसके बगैर जिंदा नहीं रह सकता.

मुहब्बत एक शजर है...एक सितारा है..एक यकीन है ... एक ऐतबार है...आसमानों की जानिब सर बुलंदी का जिंदा अहसास है...एक बुलावा है बिछड़े हुवों को मिलाने का, एक आवाज़ है तारीकी से रौशनी की तरफ...एक मौसम है अपने बातिन से ज़ाहिर तक पूरी कूवत और इन्तहाई शिद्दत से फूटता हुआ...वो जज्बा जिसकी बांहों में लोग रोज़ मरते हैं और रोज़ जीते हैं.

मुहब्बत के आलावा जो गम हैं वो मुहब्बत के ना होने के सबब हैं.

मुहब्बत कीजिये कि मुहब्बत से ही नफरतों का वजूद मिटाया जासकता है.

सोचिये, आज हम किस दौर में जी रहे हैं जहाँ दिलों में खौफ पलते हैं और खौफ पाले जाते हैं, कभी सरहदों के नाम पर, कभी ज़ात के नाम पर तो कभी मज़हब के नाम पर.

आज वैलेंटाइन डे के इस ख़ास मौके पर हम ये अहद क्यों नहीं कर लेते कि ऐसी हर ज़हरीली और फर्सूदा सोच जिस में से अब बू उठने लगी है, जो हमें आगे बढाने के बजाये पीछे की और ले जाने पर मजबूर करती हैं…बदल डालेंगे.

चलिए सिर्फ इतना करते हैं….आज के दिन हम सब मिल कर एक साथ किसी से मुहब्बत कर लेते हैं.

एक साथ?

हैरान हैं ना? कहीं मुहब्बत किसी से एक साथ की जाती है…क्यों नहीं?

क्यों न हम इंसानियत से मुहब्बत कर लें…क्या ख़याल है?


19 comments:

L.Goswami said...

बहुत नेक ख्याल है मोहतरमा ...नियमित रहा करें :-)

sanjay said...

aapa blog ka font yaha nahi padha ja raha hain. plz cheng your font.

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर विचार है, ओर सच भी

M VERMA said...

मुहब्बत और सिर्फ मुहब्बत दुनिया के हर मसले का हल है'
सुन्दर, अति सुन्दर बात
सुन्दर रचना

Satish Saxena said...

मुहब्बत के लिए पहली शर्त ईमानदारी है, और ईमानदारी क्यों न घर से शुरू करें , अपने आस पास खून के रिश्तों में ही कितनी ईमानदारी है ?? इस बेहद खूबसूरत लेख के बाद अगर माँ के प्रति भूले फर्ज को याद कर लिया जाये या बेटी को वही शिक्षा और मदद दें जो बेटे को दी है तो मुझे लगता है इस प्रकार का लेखन सफल हो जायेगा !

रवि कुमार, रावतभाटा said...

बेहद मासूम ख़यालात हैं...

एक शेर याद आ रहा है...
इस कदर तंग है ज़माना कि फ़ुर्सत ही नहीं
वो समझते है हमें उनसे मुहब्बत ही नहीं
ऐसा ही कुछ था...

डिम्पल मल्होत्रा said...

एक लफ्जे मुहब्बत का इतना सा फसाना है,
सिमटे तो दिले आशिक,फैले तो जमाना है..सही ख्याल है आपके मुहब्बत से बढ़के नहीं है कोई नेमत..

Abhishek Ojha said...

कहाँ समझ पाते हैं लोग ! जितनी नफरत है उसका कुछ फीसदी भी अगर मुहब्बत होने लगे तो फिर बात ही कुछ और हो...

Udan Tashtari said...

बेहतरीन विचार...अब नियमित लिखा जाये.

डॉ .अनुराग said...

bearing and nurturing .Creating but not owning .Giving without demanding .Controlling without authority .THIS IS LOVE......

ओर यूँ भी .....प्यार में कोई शर्त नहीं होती ....

شہروز said...

सही कहा आपने!!

pallavi trivedi said...

मोहब्बत इंसान को सिर्फ अच्छा और बेहद अच्छा बनाती है.....जिसका दिल मोहब्बत से भरा हो वहाँ नफरत के लिए जगह कैसे हो सकती है!

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

लवली कुमारी said...
बहुत नेक ख्याल है मोहतरमा ...नियमित रहा करें
राज भाटिय़ा said...
बहुत सुंदर विचार है, ओर सच भी
M VERMA said...
मुहब्बत और सिर्फ मुहब्बत दुनिया के हर मसले का हल है'
सुन्दर, अति सुन्दर बात
सुन्दर रचna डॉ .अनुराग said...
bearing and nurturing .Creating but not owning .Giving without demanding .Controlling without authority .THIS IS LOVE......

ओर यूँ भी .....प्यार में कोई शर्त नहीं होती . डिम्पल said...
एक लफ्जे मुहब्बत का इतना सा फसाना है,
सिमटे तो दिले आशिक,फैले तो जमाना है..सही ख्याल है आपके मुहब्बत से बढ़के नहीं है कोई नेमत.......ha..ha...ha...aur kitna likhun....likhte-likhte thak gayaa
.

संजय भास्‍कर said...

मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !

Unknown said...

मोहब्बत के लिए कुछ खास दिल होते हैं मख्सूस
यह वोह नग्मा है जो हर साज़ पर गाया नहीं जाता
अफ़सोस आजकल लिवइन और रिलेसन स्वपिंग को भी मोहब्बत नाम दिया जारहा है .फिर मोहब्बत में तो हर लम्हा मोहब्बत के नाम होता है यह वैलेटाइन क्या .बहरहाल आपके अहसास की शिद्दत को सलाम

उमेश said...

अति सुन्दर अभिव्यक्ति...

Unknown said...

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