Saturday, March 8, 2008

मौसम धुधला सा है.....

hiii
ब्लॉग likhna really bahot अच्छा लग रहा है , कोई सुने कोई कुछ कहे , हम बस अपने मन की कहते रहें ,,,जो हमारा दिल chhahe....कहानियाँ likhna to bachpan से पसंद है मुझे पर dairy likhna अब अच्छा लग रहा है....आज का दिन thik ही बितासुबह अख़बार देखा तो हर तरफ़ वूमन डे का चर्चा देखा ,,,हाँ अच्छा लगता है ,,कही किरण बेदी , कही सनिया मिर्जा सुष्मिता सेन तो कही इंद्रानोई की तस्वीर,,,हँसी भी आती है ,,कितने गर्व से हम कहते हैं की हम महिला का सम्मान करना सीखगए हैं पर सच बहोत धुंधला सा है....हम सनिया मिरजाकी बात करते हैं....यकीनन उन्होंने हमे ओर हमारे देश को बहोत सम्मान दिलाया है पर हम अपनी बात करें तो क्या हम उसका सम्मान कर पाए ,,,नही...आज ये हम ही हैं जिस ने सनिया को इतना मजबूर कर दिया की उन्होंने अपने देश से कभी खेलने का फ़ैसला कर लिया...यही है हमारा सम्मान ?
क्यों? क्या कारन था इस फैसले का....ये हम सब जानते हैं...कभी उनके ड्रेस पर तो कभी उनके किसी बयां पर, कभी उनका पैर राष्त्रियेध्वज की तरफ़ था,,,तो कभी कुछ ओर...बात यही तक होती टैब ठीक था....इंटरनेट पर जाने कितनी साइट्स हैं जहाँ सनिया मिरजा जैसी सम्मानित खिलाड़ी की गन्दी तस्वीरें भरी पड़ी हैं.....क्या ये सही है? सिर्फ़ इस लिए की वो महिला है , क्या यही सम्मान है हमारा ?
सनिया जैसी खिलाड़ी जो एक मुस्लिम सम्मानित फमिली की बेटी हैं....कैसा महसूस होता होगा उनके माँ ओर बाप को उनके रिश्तेदारो को,,,आख़िर उनकी भी इज्ज़त है उनका भी समाज में कोई सम्मान है ,,,क्या मशहूर होने का नतीजा यही होता है?
सम्मान .....अब क्या कहूँ....
पता नही हमारी मानसिकता कब बदलेगी ,,,कब हम सच मुच किसी महिला का सम्मान करना सीख जायेंगेपता नही वो समय कब आएगा...आएगा भी या नही...क्या पता....अभी तो मोसम बहोतधुंध से भरा है...कुछ दिखायी ही नही दे रहा ....पर इंतज़ार करना हमारी मजबूरी है...सो करना तो पड़ेगा ही....

5 comments:

अबरार अहमद said...

ब्लाग की दुनिया में आपका स्वागत है। लिखते रहिए।

R.ChamberofBeauty said...

thank u so much for ur support....

नूर खान said...

रक्षंदा, इंटरनेट पर तो सभी celebrateis के फोटो मिल जायेंगे. सानिया मिर्जा अमेरिका की खिलाड़ी होती तब भी यही होता. वो तो जो देखना चाहे उसके किए हैं. पर सानिया को ड्रेस को लेकर बहुत तंग किया गया उन लोगों से जो समाज में बड़े इज्ज़तदर हैं. फतवा सुन कर खेलना बहुत मुश्किल है.

rakhshanda said...

baat sirf fatve ki hoti to Sania ye faisla kafi pahle le chuki hoti friend...

नूर खान said...

रक्षंदा फतवे का डर होता है, जोर होता है. इंटरनेट पर सानिया की तस्वीर डालने वाले तो वही तस्वीर डाल सकते हैं जो लोगों ने उसे खेलते वक्त ली हैं, और इंटरनेट का सवाल होता तो दुनिया की सारी खिलाडिनँ अब तक खेलना बंद कर चुकी होतीं. फिर उसने सिर्फ़ भारत में ही खेलना छोड़ा है, इंटरनेट तो पूरी दुनिया में देखा जा रहा है, विदेशी केमरामेंन सेक्सी कोणों से फोटो लेने में कोई पीछे तो नहीं है. आस पास के मुल्लों नो जो फतवे जारी कर दिए हैं वो ही उसकी कठिनाई हैं.